नई दिल्ली/वॉशिंगटन: भारत पर अमेरिका के 50% भारी-भरकम टैरिफ लागू होने के कुछ ही दिनों बाद, अमेरिकी अपील अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पावर पर बड़ा झटका दिया है। अदालत ने कहा कि ट्रंप द्वारा इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत लगाए गए ज्यादातर टैरिफ “गैरकानूनी” हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि ये टैरिफ 14 अक्टूबर तक लागू रहेंगे, ताकि ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय मिल सके।
अदालत का सख्त रुख
अमेरिकी अपील अदालत ने अपने फैसले में साफ कहा,
“टैरिफ लगाना अमेरिकी संसद (Congress) की शक्ति है, राष्ट्रपति की नहीं। ऐसा नहीं लगता कि संसद ने IEEPA के जरिए राष्ट्रपति को असीमित अधिकार देने का इरादा किया था।”
इस फैसले का असर सीधे तौर पर भारत पर लगाए गए 25% रेसिप्रोकल टैरिफ और रूसी तेल पर लगाए गए अतिरिक्त 25% ड्यूटी पर पड़ेगा, क्योंकि ये दोनों IEEPA के तहत लगाए गए थे।
हालांकि, स्टील और एल्युमिनियम पर 50% ड्यूटी, जो ट्रंप ने Trade Expansion Act 1962 (Section 232) के तहत लगाई थी, उस पर कोई कानूनी रोक नहीं है।

क्यों फंसे ट्रंप के टैरिफ?
यह केस दो मुकदमों के चलते उठा—एक छोटे कारोबारियों का और दूसरा अमेरिकी राज्यों के गठबंधन का। इससे पहले मई में Court of International Trade ने भी इन टैरिफ को गैरकानूनी बताया था, लेकिन अपील के चलते फैसला रोका गया था।
अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लटकनिक ने अदालत में दलील दी थी कि IEEPA का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि बाकी कानूनी रास्ते बहुत धीमे हैं।
- Section 232 के तहत जांच पूरी करने में 270 दिन तक लगते हैं।
- Section 301 के तहत जांच और कार्रवाई में 12 महीने से ज्यादा समय लग सकता है।
लटकनिक ने कहा, “IEEPA राष्ट्रपति को तुरंत कदम उठाने की शक्ति देता है, ताकि राष्ट्रीय हित और सुरक्षा की रक्षा की जा सके।”
SRC- IndianExpress
असली मंशा कुछ और?
ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर मार्कस वैगनर ने सोशल मीडिया पर कहा था कि ट्रंप का IEEPA का इस्तेमाल करना शुरू से ही “गलत रास्ता” था और प्रशासन को पता था कि यह कोर्ट में टिकेगा नहीं।
लेकिन, उनका मानना है कि इसका असली मकसद समय खरीदना था।
“यह रणनीति अब भी खत्म नहीं हुई है। ट्रंप प्रशासन फैसले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएगा और हर कानूनी तरीका अपनाएगा ताकि टैरिफ लागू रह सकें।”
भारत पर क्या असर?
भारत पहले ही इन 50% टैरिफ को “अनुचित और गैर-ज़रूरी” बता चुका है।
सरकार ने साफ कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए हर ज़रूरी कदम उठाएगी।
👉 सीधी बात: अमेरिकी अदालत ने भले ही ट्रंप के टैरिफ को गैरकानूनी ठहराया हो, लेकिन भारत को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। असली तस्वीर 14 अक्टूबर के बाद ही साफ होगी।