भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव उस समय और बढ़ गया जब व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी ट्रेड टीम इस बात से “निराश” हैं कि भारत अभी भी रूस से तेल खरीद रहा है।
🇮🇳 भारत का रुख: “तेल वहीं से लेंगे जहां से सस्ता हो”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा क्योंकि यह “लागत के हिसाब से बेहतर” है।
उन्होंने कहा,
“हमें यह तय करना होगा कि हमारे लिए कौन सा सप्लाई सोर्स सही है। इसलिए हम निस्संदेह रूसी तेल खरीदते रहेंगे।”
सीतारमण ने यह भी जोड़ा कि चाहे रूसी तेल हो या किसी और देश से, भारत अपनी ज़रूरतों और आर्थिक हितों को देखते हुए फैसला करेगा।
🇺🇸 अमेरिका की नाराज़गी
- केविन हैसेट ने ANI से बातचीत में कहा,
“ट्रेड टीम और राष्ट्रपति निराश हैं कि भारत रूस की जंग को फंड कर रहा है। उम्मीद है कि यह कूटनीतिक मसला जल्द सकारात्मक दिशा में हल होगा।”
- अमेरिका का आरोप है कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने से यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा मिल रहा है।
- इस कारण अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जिसमें आधा पेनाल्टी के तौर पर है।
🇮🇳 भारत पर असर और राहत पैकेज
सीतारमण ने कहा कि सरकार अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित भारतीय निर्यातकों के लिए एक राहत पैकेज तैयार कर रही है।
हाल ही में लागू हुए नए GST सुधार भी इस दिशा में मदद करेंगे।
🇺🇸 अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भी चिंता
केविन हैसेट ने शुक्रवार को आए अमेरिकी बेरोजगारी आंकड़ों पर भी बात की।
- बेरोजगारी दर 4.3% तक पहुंच गई है, जो 2021 के बाद सबसे ज्यादा है।
- उन्होंने माना कि यह “निराशाजनक” है लेकिन कहा कि टैक्स सुधारों की वजह से पूंजी निवेश और फैक्ट्री निर्माण में तेजी से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
साफ है कि भारत और अमेरिका के बीच रूसी तेल खरीद को लेकर कूटनीतिक खींचतान तेज हो गई है। अब देखना होगा कि आने वाले हफ्तों में यह मामला बातचीत से सुलझता है या और बड़ा विवाद खड़ा करता है।
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SRC-Hindustan Times