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नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर भड़की जेन Z पीढ़ी, हिंसक झड़पों में 19 की मौत – जानिए पूरा मामला

By Sonam

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नेपाल
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काठमांडू (8 सितंबर 2025): नेपाल की राजधानी काठमांडू सोमवार को बेकाबू हो गई, जब हजारों युवाओं ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हुई झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए।

कब और कहां से शुरू हुआ प्रदर्शन?

यह विरोध सोमवार सुबह 9 बजे (स्थानीय समय) काठमांडू के मैतीघर इलाके से शुरू हुआ। मैतीघर मंडला नेपाल का मशहूर लैंडमार्क है और यहां बड़ी संख्या में स्कूली और कॉलेज के छात्र भी मौजूद थे।

प्रदर्शन में क्या हुआ?

शुरुआत में शांतिपूर्ण दिख रहे इस आंदोलन में दोपहर तक हालात बिगड़ गए। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन की ओर मार्च किया और बैरिकेड तोड़कर अंदर घुस गए। पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पत्थर और बोतलें फेंकी।

आंखों देखा हाल बताने वाले छात्रों ने कहा कि “हजारों की भीड़ अभूतपूर्व थी और इसमें किसी राजनीतिक पार्टी की झलक नहीं दिखी।”

आखिर क्यों भड़की जेन Z?

  • युवाओं का गुस्सा लंबे समय से बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर था।
  • 2017 में नेपाल एयरलाइंस के Airbus A330 डील से 1.47 अरब नेपाली रुपए का नुकसान हुआ था। जांच के बाद भी कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया।
  • पड़ोसी देशों श्रीलंका और बांग्लादेश में हुए जनांदोलनों से भी नेपाल के युवाओं को प्रेरणा मिली।
  • TikTok और सोशल मीडिया पर नेताओं के बच्चों की आलीशान लाइफस्टाइल वाले वीडियो भी गुस्से का कारण बने।
  • सरकार ने 4 सितंबर को अचानक Facebook, WhatsApp, Instagram, YouTube समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया।

सोशल मीडिया बैन का कारण क्या है?

सरकार का कहना है कि फेक आईडी और साइबर अपराध रोकने के लिए यह कदम उठाया गया। इन प्लेटफॉर्म्स को सरकार के साथ रजिस्टर करना था, लेकिन कई ने समय पर ऐसा नहीं किया। हालांकि TikTok और Viber जैसे कुछ प्लेटफॉर्म्स ने नियम मान लिए हैं।

नेपाल में करीब 90% आबादी इंटरनेट यूज़ करती है और 7.5% लोग विदेशों में रहते हैं। सोशल मीडिया बैन के बाद परिवारों से संपर्क करने में भी दिक्कत आ रही है।

ताजा हालात

  • काठमांडू के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिसमें संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और उपराष्ट्रपति आवास के आसपास के इलाके शामिल हैं।
  • पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार और आंसू गैस छोड़ी, जबकि कई जगह फायरिंग भी हुई।
  • 19 लोगों की मौत हो चुकी है और कई गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।

नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आंदोलनकारियों को “स्वतंत्र सोच रखने में अक्षम” कहकर टिप्पणी की।
वहीं एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नेपाल सरकार की कार्रवाई की निंदा की और कहा कि पुलिस द्वारा जानलेवा बल का इस्तेमाल अस्वीकार्य है। संगठन ने तुरंत स्वतंत्र जांच की मांग की है।


नेपाल का यह “जेन Z प्रोटेस्ट” सिर्फ सोशल मीडिया बैन पर गुस्सा नहीं है, बल्कि युवाओं की लंबे समय से चली आ रही भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ाई का नतीजा है।

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SRC-Aljazeera

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